Shiv Puran Katha in Hindi – Details, episodes & analysis

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Shiv Puran Katha in Hindi

Shiv Puran Katha in Hindi

Ajay Tambe

Religion & Spirituality

Frequency: 1 episode/6d. Total Eps: 34

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शिव पुराण सभी पुराणों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण व सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली पुराणों में से एक है। भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन किया गया है।इसमें शिव के कल्याणकारी स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है। शिव पुराण में शिव को पंचदेवों में प्रधान अनादि सिद्ध परमेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है। शिव-महिमा, लीला-कथाओं के अतिरिक्त इसमें पूजा-पद्धति, अनेक ज्ञानप्रद आख्यान और शिक्षाप्रद कथाओं का सुन्दर संयोजन है। इसमें भगवान शिव के भव्यतम व्यक्तित्व का गुणगान किया गया है। शिव- जो स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं,
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शिव पुराण: संध्या की आत्माहुति | श्रीरुद्र संहिता | अध्याय 7

Season 1 · Episode 7

lundi 24 février 2025Duration 03:06

सातवाँ अध्याय – संध्या की आत्माहुति

इस अध्याय में ब्रह्माजी नारद को संध्या देवी की कथा सुनाते हैं। भगवान शिव से वरदान प्राप्त करने के बाद संध्या मुनि मेधातिथि के यज्ञ स्थल पर पहुँचीं। उन्होंने आत्मशुद्धि के लिए यज्ञ की प्रज्वलित अग्नि में कूदकर आत्माहुति दी। उनके शरीर का ऊपरी भाग प्रातः संध्या और शेष भाग सायं संध्या में परिवर्तित हो गया।

भगवान शिव ने संध्या को दिव्य शरीर प्रदान किया। यज्ञ की समाप्ति पर मेधातिथि मुनि ने अग्नि में एक कन्या को पाया, जिसका नाम अर्घमती रखा। उसका लालन-पालन किया गया, और जब वह विवाह योग्य हुई, तो उसका विवाह महर्षि वशिष्ठ से संपन्न हुआ।

इस कथा का महत्व यह है कि संध्या वंदन और पूजन का धार्मिक महत्व समझाया गया है। साथ ही, यह बताया गया है कि जो इस पवित्र कथा को सुनते या पालन करते हैं, उनकी सभी कामनाएँ पूर्ण होती हैं।

शिव पुराण: संध्या की तपस्या | श्रीरुद्र संहिता | अध्याय 6

lundi 17 février 2025Duration 07:01

अध्याय विवरण:इस अध्याय में संध्या की कठोर तपस्या और भगवान शिव द्वारा दिए गए वरदानों का वर्णन किया गया है। संध्या, जो मोक्ष प्राप्त करना चाहती थी, ने शिवजी की घोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें चार अवस्थाओं (शैशव, कौमार्य, यौवन, वृद्धावस्था) का विधान बताया और वरदान दिया कि जो भी उन्हें कामभाव से देखेगा, वह नपुंसक हो जाएगा।शिवजी ने संध्या को अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण करने के लिए अग्नि में समर्पित होने का आदेश दिया। चंद्रभागा नदी के तट पर स्थित मेधातिथि ऋषि के यज्ञ में प्रवेश कर संध्या ने अपने शरीर का त्याग किया और यह प्रतिज्ञा की कि वे अपने इच्छित स्वरूप में पुनर्जन्म लेंगी।इस प्रकार, संध्या की तपस्या सफल हुई, उन्हें शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ और वे पुनर्जन्म के लिए तत्पर हो गईं।

शिव पुराण : संध्या का चरित्र | श्रीरुद्र संहिता | द्वितीय खंड

Season 1 · Episode 5

samedi 11 janvier 2025Duration 04:24

संध्या के जन्म और उनके कठोर तप की प्रेरणादायक कहानी। कैसे उन्होंने अपने जीवन को त्यागने का निश्चय किया और वशिष्ठ मुनि ने उन्हें तपस्या की विधि बताई। यह एपिसोड भक्ति, आत्मशुद्धि और तप के महत्व को दर्शाता है।


शिव पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव के जीवन, लीलाओं, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विस्तृत वर्णन किया गया है।

संरचना: शिव पुराण में कुल 24,000 श्लोक हैं, जो मुख्यतः सात संहिताओं में विभाजित हैं:

  1. विद्येश्वर संहिता
  2. रुद्र संहिता
  3. कोटिरुद्र संहिता
  4. कैलास संहिता
  5. वायु संहिता
  6. उमा संहिता
  7. शतरुद्र संहिता

विषय-वस्तु: इस पुराण में भगवान शिव के कल्याणकारी स्वरूप, उनकी महिमा, उपासना विधियों, पूजा-पद्धति, ज्ञानप्रद आख्यानों और शिक्षाप्रद कथाओं का सुंदर संयोजन है। यह ग्रंथ भगवान शिव के विभिन्न रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का व्यापक वर्णन प्रस्तुत करता है।


महत्व: शिव पुराण का पठन और श्रवण भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। कहा गया है कि इसका अध्ययन करने से मनुष्य पापों से मुक्त होकर इस लोक में सुख भोगता है और अंत में शिवलोक को प्राप्त करता है।


उपलब्धता: यदि आप शिव पुराण को हिंदी में पढ़ना चाहते हैं, तो यह कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। उदाहरण के लिए, 'महाकाव्य' वेबसाइट पर आप इसे हिंदी में पढ़ सकते हैं।


शिव पुराण भगवान शिव की महिमा का गान करता है और भक्तों को उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा के मार्ग पर प्रेरित करता है।

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शिव पुराण : काम-रति विवाह | श्रीरुद्र संहिता | द्वितीय खंड

Season 1 · Episode 4

samedi 11 janvier 2025Duration 02:44

यह एपिसोड कामदेव और रति के विवाह पर केंद्रित है। दक्ष ने अपनी पुत्री रति को कामदेव को सौंपा, और उनका विवाह बड़े हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। यह कहानी प्रेम, आनंद और सौंदर्य का उत्सव है, जो सुनने वालों को आकर्षित करती है।


शिव पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव के जीवन, लीलाओं, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विस्तृत वर्णन किया गया है।

संरचना:शिव पुराण में कुल 24,000 श्लोक हैं, जो मुख्यतः सात संहिताओं में विभाजित हैं:

  1. विद्येश्वर संहिता
  2. रुद्र संहिता
  3. कोटिरुद्र संहिता
  4. कैलास संहिता
  5. वायु संहिता
  6. उमा संहिता
  7. शतरुद्र संहिता

विषय-वस्तु:इस पुराण में भगवान शिव के कल्याणकारी स्वरूप, उनकी महिमा, उपासना विधियों, पूजा-पद्धति, ज्ञानप्रद आख्यानों और शिक्षाप्रद कथाओं का सुंदर संयोजन है। यह ग्रंथ भगवान शिव के विभिन्न रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का व्यापक वर्णन प्रस्तुत करता है।


महत्व:शिव पुराण का पठन और श्रवण भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। कहा गया है कि इसका अध्ययन करने से मनुष्य पापों से मुक्त होकर इस लोक में सुख भोगता है और अंत में शिवलोक को प्राप्त करता है।


उपलब्धता:यदि आप शिव पुराण को हिंदी में पढ़ना चाहते हैं, तो यह कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। उदाहरण के लिए, 'महाकाव्य' वेबसाइट पर आप इसे हिंदी में पढ़ सकते हैं।


शिव पुराण भगवान शिव की महिमा का गान करता है और भक्तों को उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा के मार्ग पर प्रेरित करता है।

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शिव पुराण : कामदेव को ब्रह्माजी द्वारा शाप देना | श्रीरुद्र संहिता| द्वितीय खंड

Season 1 · Episode 3

samedi 11 janvier 2025Duration 04:19

कामदेव की उत्पत्ति, उनकी शक्तियों और उनके द्वारा ऋषि-मुनियों को मोहित करने के कारण उन्हें ब्रह्माजी से शाप मिलने की कहानी। इस एपिसोड में जानें कि कैसे कामदेव ने शिवजी के क्रोध का सामना किया और अपने अस्तित्व को वापस पाने का वचन प्राप्त किया।


शिव पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव के जीवन, लीलाओं, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विस्तृत वर्णन किया गया है।

संरचना:शिव पुराण में कुल 24,000 श्लोक हैं, जो मुख्यतः सात संहिताओं में विभाजित हैं:

  1. विद्येश्वर संहिता
  2. रुद्र संहिता
  3. कोटिरुद्र संहिता
  4. कैलास संहिता
  5. वायु संहिता
  6. उमा संहिता
  7. शतरुद्र संहिता

विषय-वस्तु:इस पुराण में भगवान शिव के कल्याणकारी स्वरूप, उनकी महिमा, उपासना विधियों, पूजा-पद्धति, ज्ञानप्रद आख्यानों और शिक्षाप्रद कथाओं का सुंदर संयोजन है। यह ग्रंथ भगवान शिव के विभिन्न रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का व्यापक वर्णन प्रस्तुत करता है।


महत्व:शिव पुराण का पठन और श्रवण भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। कहा गया है कि इसका अध्ययन करने से मनुष्य पापों से मुक्त होकर इस लोक में सुख भोगता है और अंत में शिवलोक को प्राप्त करता है।


उपलब्धता:यदि आप शिव पुराण को हिंदी में पढ़ना चाहते हैं, तो यह कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। उदाहरण के लिए, 'महाकाव्य' वेबसाइट पर आप इसे हिंदी में पढ़ सकते हैं।


शिव पुराण भगवान शिव की महिमा का गान करता है और भक्तों को उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा के मार्ग पर प्रेरित करता है।

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शिव पुराण : शिव-पार्वती चरित्र | श्रीरुद्र संहिता | द्वितीय खंड

Season 1 · Episode 2

samedi 11 janvier 2025Duration 03:31

शिव पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव के जीवन, लीलाओं, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विस्तृत वर्णन किया गया है।संरचना:शिव पुराण में कुल 24,000 श्लोक हैं, जो मुख्यतः सात संहिताओं में विभाजित हैं: विद्येश्वर संहिता रुद्र संहिता कोटिरुद्र संहिता कैलास संहिता वायु संहिता उमा संहिता शतरुद्र संहिताविषय-वस्तु:इस पुराण में भगवान शिव के कल्याणकारी स्वरूप, उनकी महिमा, उपासना विधियों, पूजा-पद्धति, ज्ञानप्रद आख्यानों और शिक्षाप्रद कथाओं का सुंदर संयोजन है। यह ग्रंथ भगवान शिव के विभिन्न रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का व्यापक वर्णन प्रस्तुत करता है। महत्व:शिव पुराण का पठन और श्रवण भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। कहा गया है कि इसका अध्ययन करने से मनुष्य पापों से मुक्त होकर इस लोक में सुख भोगता है और अंत में शिवलोक को प्राप्त करता है। उपलब्धता:यदि आप शिव पुराण को हिंदी में पढ़ना चाहते हैं, तो यह कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। उदाहरण के लिए, 'महाकाव्य' वेबसाइट पर आप इसे हिंदी में पढ़ सकते हैं। शिव पुराण भगवान शिव की महिमा का गान करता है और भक्तों को उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा के मार्ग पर प्रेरित करता है।Mahakavya - Read Ved Puran OnlineEbooks AngrahMahakavya - Read Ved Puran Online

शिव पुराण : सती चरित्र | श्रीरुद्र संहिता | खंड 2 | अध्याय 1

Season 1 · Episode 1

samedi 11 janvier 2025Duration 04:40

शिव पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव के जीवन, लीलाओं, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विस्तृत वर्णन किया गया है।

संरचना:शिव पुराण में कुल 24,000 श्लोक हैं, जो मुख्यतः सात संहिताओं में विभाजित हैं:

  1. विद्येश्वर संहिता
  2. रुद्र संहिता
  3. कोटिरुद्र संहिता
  4. कैलास संहिता
  5. वायु संहिता
  6. उमा संहिता
  7. शतरुद्र संहिता

विषय-वस्तु:इस पुराण में भगवान शिव के कल्याणकारी स्वरूप, उनकी महिमा, उपासना विधियों, पूजा-पद्धति, ज्ञानप्रद आख्यानों और शिक्षाप्रद कथाओं का सुंदर संयोजन है। यह ग्रंथ भगवान शिव के विभिन्न रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का व्यापक वर्णन प्रस्तुत करता है।


महत्व:शिव पुराण का पठन और श्रवण भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। कहा गया है कि इसका अध्ययन करने से मनुष्य पापों से मुक्त होकर इस लोक में सुख भोगता है और अंत में शिवलोक को प्राप्त करता है।


उपलब्धता:यदि आप शिव पुराण को हिंदी में पढ़ना चाहते हैं, तो यह कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। उदाहरण के लिए, 'महाकाव्य' वेबसाइट पर आप इसे हिंदी में पढ़ सकते हैं।


शिव पुराण भगवान शिव की महिमा का गान करता है और भक्तों को उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा के मार्ग पर प्रेरित करता है।

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शिव पुराण: काम की हार | श्रीरुद्र संहिता | द्वितीय खंड - अध्याय 8

Season 1 · Episode 8

mardi 25 février 2025Duration 02:59

आठवाँ अध्याय – काम की हारइस अध्याय में ब्रह्माजी और नारद जी के संवाद द्वारा बताया गया है कि कैसे कामदेव ने भगवान शिव को मोहित करने का प्रयास किया और असफल रहा।नारद जी ने ब्रह्माजी से संध्या के विवाह के बाद की घटनाओं के बारे में पूछा। ब्रह्माजी ने बताया कि जब वे मोह में पड़ गए थे, तब भगवान शिव ने उनका उपहास किया। इस अपमान से क्रोधित होकर ब्रह्माजी ने शिवजी को मोहित करने के लिए कामदेव और उनकी पत्नी रति को योजना बनाने का निर्देश दिया।कामदेव ने ब्रह्माजी की आज्ञा मान ली और कहा कि उनका अस्त्र सुंदर स्त्री है, अतः भगवान शिव को आकर्षित करने के लिए किसी अद्वितीय सुंदर स्त्री की सृष्टि की जाए। ब्रह्माजी चिंता में पड़ गए और उनकी सांसों से पुष्पों से सजे वसंत का प्रकट होना हुआ।इसके बाद, कामदेव, वसंत, और अन्य सहायकों ने भगवान शिव को मोहित करने की योजना बनाई। उन्होंने शिवजी के पास जाकर उन्हें मोहित करने का प्रयास किया, लेकिन वे सफल नहीं हुए। मरतगणों को भी भेजा गया, लेकिन वे भी असफल रहे।अंत में, वसंत और अन्य सहायकों के साथ कामदेव ने एक और प्रयास करने का निर्णय लिया और रति सहित शिवजी के स्थान की ओर बढ़ गए।अध्याय का महत्व:इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि भगवान शिव योग और तपस्या में स्थित रहते हैं, इसलिए उन्हें किसी भी सांसारिक आकर्षण से विचलित नहीं किया जा सकता। यह अध्याय काम (इच्छाओं) पर आत्मसंयम की विजय को दर्शाता है।

शिव पुराण: ब्रह्मा का शिव विवाह हेतु प्रयत्न | श्रीरुद्र संहिता | अध्याय 9

Season 1 · Episode 9

lundi 10 mars 2025Duration 02:56

शिव पुराण - ब्रह्मा का शिव विवाह हेतु प्रयत्न

क्या कामदेव भगवान शिव को मोहित कर पाए? शिव पुराण के नवें अध्याय में जानिए कामदेव, रति, वसंत और ब्रह्मा के प्रयासों की अद्भुत कथा! इस वीडियो में विस्तार से बताया गया है कि कैसे ब्रह्माजी ने शिव विवाह के लिए यत्न किए और शिवजी की तपस्या अडिग रही।

🔹 आप जानेंगे:
✅ कामदेव के प्रयास और उनकी असफलता
✅ भगवान शिव के प्रति ब्रह्मा का प्रयत्न
✅ शिव विवाह का रहस्य और पौराणिक महत्व
✅ शिवजी की तपस्या और उनकी अलौकिक शक्ति

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शिव पुराण: दक्ष की तपस्या | श्रीरुद्र संहिता | अध्याय 12

Season 1 · Episode 12

mercredi 26 mars 2025Duration 04:34

इस अध्याय में नारद जी, ब्रह्माजी से प्रश्न करते हैं कि प्रजापति दक्ष ने देवी की किस प्रकार तपस्या की और उन्हें क्या वरदान प्राप्त हुआ?

ब्रह्मा जी बताते हैं कि उनकी आज्ञा से प्रजापति दक्ष क्षीरसागर के तट पर तपस्या के लिए गए और वहां बैठकर देवी उमा को पुत्री रूप में प्राप्त करने की प्रार्थना करते हुए कठोर व्रत का पालन किया। तीन हजार दिव्य वर्षों तक केवल वायु और जल पर निर्वाह करते हुए उन्होंने घोर तप किया।

उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी कालिका (जगदंबा) अपने सिंह पर सवार होकर प्रकट हुईं। देवी ने दक्ष की भक्ति और नम्रता से प्रसन्न होकर उन्हें वर मांगने को कहा। दक्ष ने निवेदन किया कि वे उनकी पुत्री बनें और शिवजी से विवाह करें। उन्होंने कहा कि केवल देवी ही ऐसी हैं जो भगवान शिव को गृहस्थ आश्रम में लाने में समर्थ हैं।

देवी ने कहा कि वे स्वयं शिव की दासी हैं और प्रत्येक जन्म में शिव ही उनके स्वामी होते हैं। उन्होंने वचन दिया कि वे दक्ष के घर पुत्री रूप में जन्म लेंगी, लेकिन यह चेतावनी भी दी कि यदि कभी उनके प्रति आदर कम होगा, तो वे अपना शरीर त्याग देंगी।

अंत में देवी जगदंबा अंतर्धान हो गईं और प्रजापति दक्ष प्रसन्न मन से घर लौट आए।


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